तुम्हारे अंदर वो तमाम रद्द-ओ-बदल जो तुमने सिर्फ़ मेरे लिए किये उनका आभार जता सकूँ मै तुम्हारे अंदर वो तमाम रद्द-ओ-बदल जो तुमने सिर्फ़ मेरे लिए किये उनका आभार ...
हटाओ न, समझदारी का खोल फेंक दो ना बड़प्पन दूर... बहुत दूर खेलोगी, आंख मिचौली ? हटाओ न, समझदारी का खोल फेंक दो ना बड़प्पन दूर... बहुत दूर खेलोगी, आंख मिचौली ?
बड़े होकर समझ जाओगे, यही जवाब मिला करते थे बड़े होकर समझ जाओगे, यही जवाब मिला करते थे