भ्रम
भ्रम
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वो बचपन के दिन,
आज याद आते हैं,
जब हर मासूम सवाल पर,
अभी बच्चे हो नहीं समझ सकोगे,
बड़े होकर समझ जाओगे,
यही जवाब मिला करते थे
मन में बड़े होने की आतुरता जागती,
प्रश्नों के उत्तर पाने को
बड़े हुए तो पता चला,
बचपन वाले प्रश्न तो,
जाने कहाँ खो गए,
नए प्रश्न पडे़ हैं सुलझाने को
पग पग पर परीक्षा,
ज़िन्दगी ने तोड़ा भ्रम,
कि बचपन से बड़प्पन अच्छा