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श्रेया जोशी 'कल्याणी'

Abstract

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श्रेया जोशी 'कल्याणी'

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आई रे आई नवरात्रि आई

आई रे आई नवरात्रि आई

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आई रे आई नवरात्रि आई,

नवदुर्गा धरा पर आई,

स्वागत में उनके घर-घर में होती सफाई। 


पवित्र घर आंगन में ही आती भवानी माई,

लोगों में ऐसी भ्रांति छाई, 

आंगन संग मन की पवित्रता भी जरूरी है मेरे भाई, 

आई रे आई नवरात्रि आई। 


पवित्र मन वाले भक्त का आंगन जो अपवित्र भी होगा तो, 

बड़े प्रेम से आएगी भवानी माई,

षोडशोपचार से पवित्र आंगन का वासी,

कुंठित विचारों वाला जो होगा तो,

हजार आवाहनों पर भी पग ना धरेगी भवानी माई,

आई रे आई नवरात्रि आई। 



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