शक्ति का क्रोध
शक्ति का क्रोध
अनेक रूप धर शक्ति ने,
अपना क्रोध दिखाया,
शक्ति के क्रोध ने पृथ्वी को,
अनेकों असुरों से बचाया।
दुर्गा रूप में महिषासुर मारा,
चंडी रूप में चंड मुंड तारा,
महाकाली होकर उसने पत्तई संहारा।
पृथ्वी पर हाहाकार मची जब,
तब देवी ने रौद्र रूप धारा,
कुल के नाश का कारण बनी तब,
राम ने रावण कुल संहारा।