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एक दिन...

एक दिन...

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तेरी राह-ए-महफ़िल से गुज़र जाऊँगा एक दिन

तेरी यादों के साहिल में उतर जाऊँगा एक दिन

तेरे ख़्वाबों की डोरों से लिपट जाऊँगा एक दिन

तेरे अश्कों के साये में सिमट जाऊँगा एक दिन


उस एक दिन तुझे बड़ा याद आऊँगा मैं

जिस दिन ख़ुद से ही जुदा हो जाऊँगा मैं

जब नाम भी ना होगा मेरा तुझे हँसाने को,


तभी ख़ुद से भी ज़्यादा तुझे रुलाऊँगा एक दिन

तब सिसकियाँ जो तेरी होंगी,

उन में अपनी आहें छोड़ जाऊँगा मैं

उन्ही सिसकियों की आहट से,

तेरा दर्द ही भूल जाऊँगा एक दिन


एक दरिया जो छिपा होगा तेरी आँखों में,

उसे सागर में तब्दील कर जाऊँगा एक दिन

एक बात जो दिल में छिपी है एक अरसे से,

उस वक़्त का हर लम्हा बयां कर जाऊँगा एक दिन


पर तब ना ये बात होगी,

ना मुलाक़ात होगी,

बस अपनी बात तेरे आँचल में ही

भिगो जाऊँगा एक दिन...!


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