एक खूबसूरत एहसास..
एक खूबसूरत एहसास..
अपनी गोद में मेरा सर रखवा कर,
मेरे बालों को हल्के हाथों से सहलाती रही ..
उस रात सुकून भरी नींद कैसे ना आती मुझे,
वोह टूटे-फूटे अंतरे तो कभी धुन गुन-गुनाती रही।
दिन भर में मैंने उसे कितना परेशान किया,
सब एक एक कर के मुझे गिनाती रही
"कितने मासूम दिखते हो सोते हुए"
बस इतना ही सुन पाया मैं,
और ना जाने क्या क्या बड़-बड़ाती रही।
मेरी आंखों पर पड़ रही चांद की रोशनी को,
अपनी जुल्फों से छुपाती रही ..
कानों में उसका संगीत,
सांसों में उसके गेसुओं की खुशबू,
गुजरते लम्हों को वोह अपनी सादगी से ठहराती रही
बीच रात नींद खुली जब मेरी,
वोह भी नींद की आगोश में आती रही,
कोई आवाज नहीं उसके मुख से,
बस लबों को थिरकाती रही ..
उसके होठों को मैंने अपनी उंगलियों से बंद किया,
और वोह नींद में ही मुस्कुराती रही।

