साहित्य
साहित्य
सत हित में करे जो कार्य हरे तम,
साहित्य उसे ही कहते हैं हम।
वाचिक और लिखित में मिलता है,
समाज के रूप दिखलाता है,
यही साहित्य समाज का दर्पण होता है,
हर भाषा, हर बोली का होता है इतिहास,
जिससे बनता है भाषा का साहित्य खास।
जानो सब साहित्य को समझो इसे,
साहित्य से चलती है संस्कृति।
कहानी, उपन्यास, लेख, कविताओं से
साहित्य की होती है पहचान।
छंद, दोहा, सोरठा, कुंडली और चौपाई,
वेद, पुराण, उपनिषद समेटे हुए हैं धरोहर।
मुनि, ज्ञानी कहें सब साहित्य को संभालो तुम।