मनहरण घनाक्षरी: नारी
मनहरण घनाक्षरी: नारी
नारी तेरे रूप बड़े, लगते हैं अति भले।
बहन तू बेटी माता, शीश तो नवाइए।।
प्रेम मूर्ति कही जाती, सबके है मन भाती।
मार फिर है क्यूॅं खाती, कारण बताइए।।
करती वो सारा काम, दिन रात और शाम।
थकती वो कभी नहीं, बात मान जाइए।।
ममता की वो मूरत, देवी जैसी है सूरत।
पूजा चाहे नहीं वह, ध्यान देने आइए।।
