काला बाजारी
काला बाजारी
भ्रष्ट हुए सब देख, पाप की नगरी सारी।
जनता का है राज , करें यह काल बजारी।।
बच्चा तंगी हाल, घरों में है कंगाली।
अंधी है सरकार, नहीं भाती खुशहाली।।
मन में भरे उमंग, जाग कर करते सेवा।
भ्रष्ट हुए जो आज, नहीं मिल सकती मेवा।।
जनता है बेहाल, फिरे है मारी-मारी।
भ्रष्ट रहे जब दूर, मिटे तब यह बीमारी।।
खोल भेद दो आज, करते जो बेईमानी।
पकड़ो इन भ्रष्टों को, नहीं करें मनमानी।।
इस काला बाजारी को, अब तो कोई मिटाओ।
अवतार बन आओ, सच्चाई इन्हें सिखाओ।।
