सर्दी और चाय
सर्दी और चाय
सर्दी की ठिठुरती रात,
जब चाय का हो साथ।
तब बन जाती है बात,
हाथों में रहे तुम्हारा ही हाथ।
कड़क मसाले दार वो एक प्याला,
अदरक, इलाइची डालकर बनाया।
दूध का स्वाद बड़ा निराला,
हमने भी पी कर जश्न मनाया।
पहलू में बैठ एक-दूसरे के,
उस आलम में ठिठुरते रहे।
खोए रहे बस अपने में,
नैनों में प्यार और खुमार भरे।
मयखाने हम जाते नहीं कभी,
पर नशा हमें हो जाता है।
संभाल लोगी तुम ही हमें अभी,
बस यही ख्याल हरसूॅं आता है।
सर्दी की ठिठुरती रात,
जब चाय का हो साथ।
तब बन जाती है बात,
हाथों में रहे तुम्हारा ही हाथ।