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Preshit Gajbhiye

Others

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Preshit Gajbhiye

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क्या ये आप ठीक कर रहे हैं

क्या ये आप ठीक कर रहे हैं

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कैसे तुम्हे ये सब नहीं दिख रहा ,

के हम सब तुम्हारी कितनी 'फिक्र' कर रहे हैं ..

तुम्हारे हाथो की गई सजावटें ही 

रौनक लाती हैं इस घर में ,

बात-बात पर सब तुम्हारा ''ज़िक्र' कर रहे हैं ..


सजने संवरने के बाद 

मैं ही तो अच्छी तस्वीर लेता हूं तुम्हारी ,

घर के ‘आईने' भी अब तुम्हारी तारीफ कर रहे हैं ..

इन मिठाइयों के डब्बों से आती मीठी सी खुशबू ,

तुम्हारे एहसास को मेरे नज़दीक कर रहे हैं ..


ये आंगन में सजे दियों की 'बातियां' ,

तुम्हारे हाथो रौशन होने की ज़िद कर रहे हैं ..

ये फूल,पटाखे,रंगोलियां इंतजार में हैं ,

और इन्हे इंतजार करवा कर

बताना ज़रा ,क्या आप ये ठीक कर रहे हैं ?


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