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Preshit Gajbhiye

Romance

4  

Preshit Gajbhiye

Romance

एक ख़त ...

एक ख़त ...

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तुम्हारे और मेरे बारे में ,

मैने सब कुछ लिख रखा है ..

कभी मन करे तो पढ़ लेना ,

'एक ख़त' मैंने तुम्हारे कमरे में छुपा रखा है ..


पढ़ने से पहले सोच लेना अच्छे से ,

लिखते वक्त मैंने सुबह को शाम 

और रातों को दिन बना रखा है  ..

जहां-जहां तुम्हारा नाम लिखना था ,

तुम्हारे नाम की जगह छोटा सा दिल बना रखा है ..


मुझे ज़िक्र करना नहीं आता और ना ही लिखना ,

बस उस ख़त को मेरे जज़बादों से सझा रखा है ..

कही फजूल ना हो जाए उस ख़त को तुम्हारे कमरे में रखना ,

तुमसे इश्क है कितना ये 

उस ख़त से ज़्यादा तो अब तुम्हे बता रखा है ...



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