एक ख़त ...
एक ख़त ...
तुम्हारे और मेरे बारे में ,
मैने सब कुछ लिख रखा है ..
कभी मन करे तो पढ़ लेना ,
'एक ख़त' मैंने तुम्हारे कमरे में छुपा रखा है ..
पढ़ने से पहले सोच लेना अच्छे से ,
लिखते वक्त मैंने सुबह को शाम
और रातों को दिन बना रखा है ..
जहां-जहां तुम्हारा नाम लिखना था ,
तुम्हारे नाम की जगह छोटा सा दिल बना रखा है ..
मुझे ज़िक्र करना नहीं आता और ना ही लिखना ,
बस उस ख़त को मेरे जज़बादों से सझा रखा है ..
कही फजूल ना हो जाए उस ख़त को तुम्हारे कमरे में रखना ,
तुमसे इश्क है कितना ये
उस ख़त से ज़्यादा तो अब तुम्हे बता रखा है ...

