STORYMIRROR

Preshit Gajbhiye

Tragedy Others

2  

Preshit Gajbhiye

Tragedy Others

अब किस हक़ से ...

अब किस हक़ से ...

1 min
49

अब किस हक़ से 

उसे परेशान करने का सोचा है ,

इन्हीं हाथों से जिसका भरोसा नोचा है ,

एक तो आता नहीं तुम्हें मनाना-जताना

और कहते हो प्यार-मोहब्बत धोका है ..


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy