अब किस हक़ से ...
अब किस हक़ से ...
अब किस हक़ से
उसे परेशान करने का सोचा है ,
इन्हीं हाथों से जिसका भरोसा नोचा है ,
एक तो आता नहीं तुम्हें मनाना-जताना
और कहते हो प्यार-मोहब्बत धोका है ..
अब किस हक़ से
उसे परेशान करने का सोचा है ,
इन्हीं हाथों से जिसका भरोसा नोचा है ,
एक तो आता नहीं तुम्हें मनाना-जताना
और कहते हो प्यार-मोहब्बत धोका है ..