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Preshit Gajbhiye

Romance

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Preshit Gajbhiye

Romance

मैंने मोहब्बत नहीं की

मैंने मोहब्बत नहीं की

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बाद में ना कहना कि मैंने मोहब्बत नहीं की .. 

करना चाहता था बात पर हिम्मत नहीं की .. 


जब देखा तुम्हें खुश तो क्या परेशान करना , 

यही सोच कर अपनी ओर से हरकत नहीं की .. 


तुम से जाना खोने के बाद लौटता नहीं कोई , 

उप्पर वाले ने भी फिर दुबारा बरकत नहीं की .. 


हां, इंतजार भी रहा लौट आने का तुम्हारे , 

इसी चक्कर में दूसरे किसी की चाहत नहीं की .. 


सोचा था आगे बढ़ जाऊ बात करूं किसी से , 

लेकिन दूर रहते हुए भी तुम से बगावत नहीं की .. 


आसरा लेकर उभर जाता ग़म-ए-हिज्र से बाहर मगर , 

दिल बहलाने के मक़सद से इश्क़ की तौमत नहीं की .. 


सुनो लड़की, बेशक मैं तुम से झूठ बोलते रहा , 

इसका मतलब ये नहीं तुम्हारी इज़्जत नहीं की ..


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