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Dr Baman Chandra Dixit

Abstract

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Dr Baman Chandra Dixit

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कौशल्या विलाप

कौशल्या विलाप

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ना जा कानन घन राम वहाँ

आपद अनेक भय भारी

तम गहन घोर अंधकार वहाँ

आपद अनेक भय भारी।।


अति विशाल तरु शाखा बृहता

दिवस यामिनी भ्रम गुप्त सविता

दिशा-बोध बाधा बाधित व्योम

बिसरत चार दुआरी वहाँ

आपद अनेक भय भारी।।


नाना विध नाग नखी नर-बानर

नखिका कंटका गुल्मादि आवर

नरभक्षी राक्षस यांतब याबत

निर्द्दय प्रणापहारी, वहाँ

आपद अनेक भय भारी।।


क्षुधा तृषा निवार उपाय अनेक

वनचर पिशाच माया कुहुक

बिन बोध आचमन अपि वर्जित

भोजन भय बिस्तारी..वहाँ

आपद अनेक भय भारी।।

 

कोमल किशोर काया क्लान्त काल में

बोध बिसरावे मति विकल में

ना मात तात ना भ्रात साथ

होवे सहाय तुम्हारी...वहाँ

आपद अनेक भय भारी।।


जननी जान राम मान मोर वाणी

मन नहीं माने तू त्रिभुवन स्वामी

मोर स्नेह नेह मोह तोहे लागे

घेन विनती हमारी...वहाँ

आपद अनेक भय भारी।।



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