मैं भी उस पल यामिनी संग खड़ा होना चाहता हूँ लड़ना चाहता हूँ सुबह से जो अपनी अकड़ में खो रखा ह... मैं भी उस पल यामिनी संग खड़ा होना चाहता हूँ लड़ना चाहता हूँ सुबह से जो अ...
खुले केश अशेष शोभा भर रहे खुले केश अशेष शोभा भर रहे
प्रलय हो या ना, इसी का कोई संकेत दिख रहा था प्रलय हो या ना, इसी का कोई संकेत दिख रहा था
देये उजारो सबला दुयी घरकी वा आशा देये उजारो सबला दुयी घरकी वा आशा
नभ में गर्जन लाई है दामिनी । पुनः लौट आई है यामिनी ।। नभ में गर्जन लाई है दामिनी । पुनः लौट आई है यामिनी ।।
क्षुधा तृषा निवार उपाय अनेक वनचर पिशाच माया कुहुक क्षुधा तृषा निवार उपाय अनेक वनचर पिशाच माया कुहुक