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Kailash Jangra 'Banbhori' कैलाश जांगड़ा 'बनभौरी'

Others

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Kailash Jangra 'Banbhori' कैलाश जांगड़ा 'बनभौरी'

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प्रलय

प्रलय

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ताकता - ताकता - ताकता, मैं ताक रहा था।

देख सूर्य-चन्द्रमा को, जाने कौन-सा राग किए जा रहा था।।


ले आनंद यामिनी के संगीत का, मन शांत होए जा रहा था ।

चलता जैसे सुर मृदंग का, सृष्टि-अनंत का स्वर आ रहा था।।


प्रलय हो या ना, इसी का कोई संकेत दिख रहा था।

यही कारण, कोई छटा छाया बादलों पर दिख रहा था।।


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