प्रलय
प्रलय
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ताकता - ताकता - ताकता, मैं ताक रहा था।
देख सूर्य-चन्द्रमा को, जाने कौन-सा राग किए जा रहा था।।
ले आनंद यामिनी के संगीत का, मन शांत होए जा रहा था ।
चलता जैसे सुर मृदंग का, सृष्टि-अनंत का स्वर आ रहा था।।
प्रलय हो या ना, इसी का कोई संकेत दिख रहा था।
यही कारण, कोई छटा छाया बादलों पर दिख रहा था।।
