Kailash Jangra 'Banbhoriwala' कैलाश जांगड़ा 'बनभौरीवाला'
Abstract Others
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वतन
ख़ोज
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वक़्त की रफ़्ता...
एक नारी हूँ म...
ये पलकों के भी एहसान बहत निज आगोश में भर लेते उन्हें। ये पलकों के भी एहसान बहत निज आगोश में भर लेते उन्हें।
इस दहलीज़ से बाहर का मौसम जैसे भी हो,कुछ अलग तो होगा। इस दहलीज़ से बाहर का मौसम जैसे भी हो,कुछ अलग तो होगा।
अगर एक लड़की हूं मै तो क्यों मेरे हर चीज़ पर सवाल है क्यों सिर्फ मेरे लिए ही सवाल है, अगर एक लड़की हूं मै तो क्यों मेरे हर चीज़ पर सवाल है क्यों सिर्फ मेरे लिए ही ...
फिर हम किसी हमसफर का इंतज़ार क्या करते। फिर हम किसी हमसफर का इंतज़ार क्या करते।
जीत का जश्न, मनाते सब है, पर हार में खुश, ये कौन हुआ ? जीत का जश्न, मनाते सब है, पर हार में खुश, ये कौन हुआ ?
जिंदगी को चलचित्र की भांति आंखो से गुजरते देखा, हर एक अंतराल में बस खुद को सिमटतेदेखा जिंदगी को चलचित्र की भांति आंखो से गुजरते देखा, हर एक अंतराल में बस खुद को स...
पचास पार करते ही बाल दाढ़ी पकने लगा है ऐसा लगता है कि अब धीरे धीरे थकने लगा हूं। पचास पार करते ही बाल दाढ़ी पकने लगा है ऐसा लगता है कि अब धीरे धीरे ...
सुना सुना के कहता वो बयार चुपके से सुनते हुए भी अनसुना सा अन्दाज़ हूँ मैं।। सुना सुना के कहता वो बयार चुपके से सुनते हुए भी अनसुना सा अन्दाज़ हूँ मैं।।
दुर्गंध युक्त स्वार्थ में सिमटकर, मिलन ना तुमसे कर पाऊँगा।। दुर्गंध युक्त स्वार्थ में सिमटकर, मिलन ना तुमसे कर पाऊँगा।।
ऐसे ही लगे रहो मेरे प्रेम स्त्रोत ! ऐसे ही लगे रहो मेरे प्रेम स्त्रोत !
विधि का विधान भी निराला है, उसके आगे चलता जोर किसी का नहीं है ! विधि का विधान भी निराला है, उसके आगे चलता जोर किसी का नहीं है !
मस्ती में पवन ! आम्र मंजरी झरे ! मद बासंती भरे ! मस्ती में पवन ! आम्र मंजरी झरे ! मद बासंती भरे !
खुली किताब अपने शब्दों से बांध लेती है पढ़ने वाले को। खुली किताब अपने शब्दों से बांध लेती है पढ़ने वाले को।
मुहब्बत जताने के दिन आ रहे हैं गज़ल गुनगुनाने के दिन आ रहे हैं। मुहब्बत जताने के दिन आ रहे हैं गज़ल गुनगुनाने के दिन आ रहे हैं।
जब सब तेरा ही है तो हमें मुसाफिराना अहसास कब होगा। जब सब तेरा ही है तो हमें मुसाफिराना अहसास कब होगा।
हजार कोशिशें की इसे जानने की, पर हर बार कुछ अलग ही मिला। हजार कोशिशें की इसे जानने की, पर हर बार कुछ अलग ही मिला।
खड़े रह सकते हैं और फिर एक बार जीतने का दम भर सकते हैं। खड़े रह सकते हैं और फिर एक बार जीतने का दम भर सकते हैं।
क्योंकि जीवन है जीना, जीवन है मरना जीवन है जीना, जीवन है मरना। क्योंकि जीवन है जीना, जीवन है मरना जीवन है जीना, जीवन है मरना।
यूँ कहने को तो लकड़ी कट रही है शजर की नस व हड्डी कट रही है! यूँ कहने को तो लकड़ी कट रही है शजर की नस व हड्डी कट रही है!
बात तेरी भी खास है, दूसरों की परवाह करना छोड़ दे। बात तेरी भी खास है, दूसरों की परवाह करना छोड़ दे।