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Kailash Jangra 'Banbhori' कैलाश जांगड़ा 'बनभौरी'

Abstract

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Kailash Jangra 'Banbhori' कैलाश जांगड़ा 'बनभौरी'

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ख़ोज

ख़ोज

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जिन ख्वाबों में खोया हूँ मैं , उनका कोई दर्पण नहीं ।

जिस बदन का बना हूँ मैंं , उसका कोई मोल नहीं ।।

जिस प्रेम की ख़ोज में हूँ मैं , उसका कोई अंत नहीं ।

जिस ईश्वर की ख़ोज में हूँ मैं ,उसका कोई नाम नहीं ।।


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