Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Incomparable Atul Srivastava

Others

4  

Incomparable Atul Srivastava

Others

पुनः लौट आई हैं यामिनी

पुनः लौट आई हैं यामिनी

2 mins
370


अस्त हुआ जा रहा रवि , संध्या बेला आई है ।

बसंत ऋतु में खग पखेरु , झूम झूम हर्षायी है ।

समेट रहा सब किरणे भास्कर , जल्दी से घर जाने को ।

नभ ओढ़ता चांदनी चादर , अमृत धारा बरसाने को ।

नभ में गर्जन लाई है दामिनी ।

पुनः लौट आई है यामिनी ।।


गया प्रभावी प्रभात जल्द ही , गई आलसी भरी दुपहरी ।

गई मौन धरी संध्या बेला , लौट आई पुनः विभावरी ।

लौट रहे सब जल्दी जल्दी , अपने घर जाने को ।

नभ से खग लौट रहे , लिए चोंच में दाने को ।

नभ में फैल गई है चांदनी ।

पुनः लौट आई है यामिनी ।।


चले गए सभी गहरी निंद्रा में , स्वप्नों के भूल भुल्लैया में ।

पर भूल गए यह बात सभी , कोई जाग रहा हैं दुनिया में ।

जाग रहे अभी भी कुछ लोग , पेट की आग बुझाने को ।

जाग रहे है बड़े लोग भी , व्यथित मन बहलाने को ।

दूर जल रही निर्दयी जठरागिनी ।

पुनः लौट आई है यामिनी ।।


सरहद पर देखा हैं रजनी ने , वीर जवानों को जगते ।

कृषकों को देखा है रातों में , फसलों की पहरेदारी करते ।

जाग रही ममता की लोरी , अपने मुन्ने को सुलाने को ।

लूटा रही सम्मान वो नारी , रात तलब कुछ पाने को ।

सज सवरकर बैठी वह कामिनी ।

पुनः लौट आई है यामिनी ।।


छुपछुप कर रातों में ही , प्रेम के पुष्प खिलते हैं ।

तड़प रही विरहिणी के साजन , ख्याबों में ही मिलते हैं ।

अंधेरी और गहरी ये रातें , आई है फिर से जाने को ।

फिर से लौट आएगा रवि , आशा की नव ज्योत जलाने को ।

चली पुरवइया बनके गामिनी ।

पुनः लौट आई है यामिनी ।।


Rate this content
Log in