हाँ ! यह मेरी प्यारी काशी है
हाँ ! यह मेरी प्यारी काशी है
हाँ, यह मेरी प्यारी काशी है,
यहाँ बहती नदिया अविनाशी है,
अभिमान हमे है इस भूमि पर,
जहा के हम निवासी है,
हाँ, यह मेरी प्यारी काशी है।
घाटों का दृश्य भी बेहद ही लुभाना है,
शिव की इस पावन नगरी का इतिहास बहुत पुराना है,
जिसे देखने को ये जग भी अभिलाषी है,
हाँ, यह मेरी प्यारी काशी है।
संकटमोचन, विश्वनाथ मंदिर का भी प्रचलित है गाथा,
जिसके दर्शन करने को प्रत्येक भक्त है आता,
ऐसी मातृभूमि के लिए प्रत्येक नारी भी दासी है,
हाँ, यह मेरी प्यारी काशी है।
पान बनारस वाला भी सबके मन को भाता है,
सावन का पावन महीना सबको यहाँ खींच लाता है,
बनारस की साड़ी भी तो सबसे प्यारी-प्यारी है,
हाँ, यह मेरी प्यारी काशी है।
आज़ाद काशी को देखो, बड़ा ही छैल-छबीला है,
यहाँ के लोगों का अंदाज़ भी बेहद रंगीला है,
जिसकी प्रकृति को स्पर्श करके आती मुख पर आशी है,
हाँ, यह मेरी प्यारी काशी है।
इसी भूमि पर तुलसीदास ने रामचरित का आरंभ किया,
गौतम बुद्ध ने भी तो अपना प्रथम प्रवचन यहीं दिया,
युगों-युगों तक जीने वाला यह शहर आयुशी है,
हाँ, यह मेरी प्यारी काशी है।
शिक्षा और स्वास्थ में पीछे नहीं रहा कभी,
भागे-दौड़े, लपके-झपके जिसे जानने आए सभी,
लेखक, कवि, संगीतज्ञ,पंडित और भरे पड़े उपन्यासी है,
हाँ यह मेरी प्यारी काशी है।
गंगा का शीतल जल भी सबके मन को भाता है,
शिव जी की ये नगरी, शिव ही यहाँ के दाता है,
होली, ईद, दीवाली, क्रिस्मस और संग मनाते बैसाखी है,
हाँ यह मेरी प्यारी काशी है।
बोली यहाँ की मीठी, प्यारे-प्यारे यहाँ के लोग,
हँसते-खेलते साथ हैं रहते, दूर हो जाते सबके रोग,
धन्य-धान्य हैं हम सभी, जो यहाँ के पैदाइश हैं,
हाँ यह मेरी प्यारी काशी है।
हाँ यह मेरी प्यारी काशी है।