द्रौपदी की पुकार
द्रौपदी की पुकार
जब भी कोई द्रौपदी बने , हे कृष्ण मेरे तब आ जाना
दुशाशन जब चिर हरे , रक्षा करने तुम आ जाना ।
सखा मेरे तुम आ जाना , जब केश खिंच कोई जुल्म करे ,
चिर जरा तुम दे जाना जब पापी कोई चिर हरे ।
जब सभा कभी ध्रिटराष्ट्र बने , जब अँधे हो जाए सब एक साथ
तुम आ जाना मेरे सखा , थाम जाना फिर मेरा हाथ ।
जब सब अपने कर्तव्य भूले , जब मेरी रुदन व्यर्थ बहे ,
जब थक जाऊ मैं कर के पुकार , तुम आ जाना तब बार बार
जब लोभ लालच और तृष्णा हो , लाचार खड़ी कोई कृष्णा हो ,
तब डोरी थोड़ी सी दे जाना , हे कृष्ण मेरे तुम आ जाना ।
जब कोई न दे मेरा साथ , मीत मित्रता दिखा जाना,
हे मेरे सखा तुम आ जाना , हे कृष्ण कन्हैया आ जाना