सत्य
सत्य
कोई भी किसी का हमेशा के लिए नहीं होता,
तो ये दिल क्यूं ही किसी के लिए रोता है।
हासिल तो कर ही लेता है हर कोई किसी को भी इक पल के लिए,
पर बिछड़ कर उससे वह अपनी आंखें क्यूं है भिगोता।।
भरोसा तो इक पल के लिए सभी जता ही देते हैं,
पर कोई किसी का हमेशा के लिए क्यूं नहीं होता।।
समझ में तो आ ही जाती है सभी के दिल की बातें,
पर कोई यूं खफ़ा होगा ये भरोसा नहीं होता।।
सभी में खुद को सच्चा समझने का भ्रम भरा पड़ा है,
पर कोई खुदा के लिए खुद से सच्चा क्यूं नहीं होता।।
अच्छेपन का मुखौटा जब से बाजारों में मिलने लगा है,
तब से चेहरा एक नहीं सबके पास दो चार है होता।।
कोई भी किसी का हमेशा के लिए नहीं होता
तो ये दिल क्यूं ही किसी के लिए है रोता...,,