STORYMIRROR

D Avinasi

Abstract

4  

D Avinasi

Abstract

घमंड भाव का त्याग करें

घमंड भाव का त्याग करें

1 min
405

गीत,घमंड भाव त्यागेअब सब घमंड भाव को त्यागे,

प्रेम नम्र भाव अपनाएं।

सिद्धांत और सौहार्द्र युक्तियां, सबके हित में पनपायें।।

मय के द्वारा बढे लालसा, बहके मन कल कल होये।

सार्थक जीवन उसी का हो जो,सत पथ पंथ नहीं खोये।।

धरामें जिसने भी अपनाया, चूर यही पर हों जाये।

अब सब घमंड,,1


जिसने जन्म लिया है जाने,

मरना निश्चय होय महीं।

धन बैभव के बल ना भूलें,

कालपे खुद मिट जांय यहीं।।

ये संसार अगम सागर सा, बिरले पार होय पायें।

अब सब घमंड ,2


पछताने से कुछ ना होये, काम आदि बैरी डाहें।

चैन शांति बिल्कुल ना मिलती,खाली रह जाती आहें।।

जोभी दीखे छण भंगुर हो, चाह बढे अरु तड़पाये।

अब सब घमंड,,,3


आपसमें मिल जुलके रहलें,

सीखे और सिख देवें।

अंधविश्वास कुरीति त्यागे, सत पथ पंथ कोगह लेवें।।

अंतिम चाह सभी की होती,

मंजिल अपनी पा जाये।

अब सब घमंड,,4


मानवता कर्म धर्म हो पूजा,

सत्य यही जगमें जाने।

जाने माने और जनायें, मनका कहा नहीं मानें।।

चैन शांति जीवन मे होयें, मिल जुल के सब रह जाये,

अब सब घमंड,,5


जीवन के हित पल अमोल हो,

करें उपयोग नहीं खोये।

बीते हुए कभी ना लौटे, चाहे वर मांगे रोते।।

अविनाशी खुद जाने माने,

कमल पात सा रह जायें।

अब सब घमंड,,6


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract