सुख दुख दोनों है हमजोली
सुख दुख दोनों है हमजोली
सुख दुख दोनों है हमजोली, जब तक जीवे वो होये।
कोई इनको रोक न पाये, फल किए कर्मों के होये।।
भूल यहां पर जाते हैं सब, कहते जीवन भर रहते।
दुख ना होये सुख ही होये, पर वैसे ना कर गहते।।
वर मांगना दौड़े दर दर में, कर शिर धर करके रोये। सुख दुख....1
जाने माने जो ना जग में, वो जीवन भर पछताये।
जैसी करनी वैसी भरनी, कुछ वैभव पर इतराये।।
चाहे पूरी करने के हित, घट करो का बोझा ढोये। सुख दुख....2
मानवता धर्म कर्म ही पूजा, का सिद्धांत सफल जग में।
कांटे लगते हैं पर, हटा हटा जाये मग में।।
समय अमूल्य बहुत है जाने, पल भर व्यर्थ नहीं खोये। सुख दुख.... 3
खाद्य धान्य उपयोगी खाये, जिससे तन निरोगी रहे।
नर नारी कोई भी होये, घट पथ पंथों को न गहें।।
आपस में सब प्रेम से रह ले, द्वेष के बीज नहीं बोये । सुख दुख।......4
ये तन श्रेष्ठ कहे सब जग में, भूल नहीं जाये कोई ।
सत जाने माने अपनाये, जीवन तब सार्थक होई।।
भ्रम फैला हुआ चहूँ ओर, रुचे जिसे वो खुद रोये। सुख दुख....5
सुख दुख कर्मों के फल होते। किसी के भाग्य में नहीं लिखे।।
अंधविश्वास को ना अपनाये, मंजिल का पथ तभी दिखे।।
अविनाशी ज्ञान स्वयं मंजिल, सुख दुख वहां नहीं होये। सुख दुख....6
