शब्दों के मोती के मोती
शब्दों के मोती के मोती
पूज्य माता-पिता का,चरण सुतीर्थ धाम,
नाम यश हर्ष शुभ,उत्कर्ष सु-दाता है।
श्रद्धा स्नेह प्रेम नेम, से नित सेई सर्वदा,
स्वर्ग सुख शान्ति जग,जन-जन पाता है।
सर्वसम्मत पूनिता भूलो नहीं माता- पिता,
मानस पुराण वेद, श्रेष्ट बतलाता है।
पालन पोषण प्यार, देके सदज्ञान शुभ,
बन सद्गुरु सब, कुछ सिखलाता है।
खुश रखने से सदा,माता-पिता मानस को,
खुशियों से परिवार, घर भर जाता है।
रह अनुशासन में,जीवीत माता-पिता के,
शुभाशीष सु-सरस,शान्ति सुख पाता है।
करता अनादर जो,माता -पिता का जग में,
बने नरक गामी ना, चैन क़भी पाता है।
पामर पतित वह, जगत के मध्य सदा,
पूज्य माता- पिता नित, दिलजो दुखाता है।
त्यागिये ना भूल से भी,मात-पिता सु- चरण,
राग अनुराग शुभ, पदों में बढा़इये।
श्रीमाता-पिता रिण से, मुश्किल उरिण होना,
सुचि उपकार प्यार, मत भूल जाइये।
माता-पिता तुल्य नहीं,अमुल्य कुछ जग में,
धूल ले चरणन का, फलिये - फूलाइये।
श्रद्धा भाव ओत-प्रोत, सेवा में समर्पित हो,
नित उठी मात-पिता, पद शीश नाइये।