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Baburam Shing kavi

Abstract

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Baburam Shing kavi

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शब्दों के मोती के मोती

शब्दों के मोती के मोती

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पूज्य माता-पिता का,चरण सुतीर्थ धाम, 

नाम यश हर्ष शुभ,उत्कर्ष सु-दाता है। 

श्रद्धा स्नेह प्रेम नेम, से नित सेई सर्वदा,

स्वर्ग सुख शान्ति जग,जन-जन पाता है।


सर्वसम्मत पूनिता भूलो नहीं माता- पिता, 

मानस  पुराण  वेद, श्रेष्ट  बतलाता है। 

पालन पोषण  प्यार, देके सदज्ञान शुभ,

बन  सद्गुरु  सब, कुछ  सिखलाता है। 


खुश रखने से सदा,माता-पिता मानस को, 

खुशियों से  परिवार, घर  भर जाता है। 

रह अनुशासन में,जीवीत माता-पिता के,

शुभाशीष सु-सरस,शान्ति सुख पाता है। 

करता अनादर जो,माता -पिता का जग में,

बने नरक गामी ना, चैन क़भी पाता है। 

पामर पतित  वह, जगत के मध्य सदा,

पूज्य माता- पिता नित, दिलजो दुखाता है। 


त्यागिये ना भूल से भी,मात-पिता सु- चरण,

राग  अनुराग  शुभ, पदों  में  बढा़इये। 

श्रीमाता-पिता रिण से, मुश्किल उरिण होना,

सुचि  उपकार  प्यार, मत  भूल जाइये। 


माता-पिता तुल्य नहीं,अमुल्य कुछ जग में,

धूल  ले  चरणन  का,  फलिये - फूलाइये। 

श्रद्धा भाव ओत-प्रोत, सेवा में समर्पित हो,

नित उठी  मात-पिता, पद  शीश नाइये।


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