नया साल...
नया साल...
बीते साल की विदाई
नए साल का जश्न
इन सबों के बीच
कहीं खो ना जाएं हम
भीड़ में खुद को तलाशते हम
पर कहीं पीछे रह ना जाएं हम
खुली आसमां में पंख फैलाना है
नये साल में नईं राह तराशना है
खुद से किए वादों को
हर हाल में निभाना है
अपनी कोशिशों से लंबी उड़ान भरना है
नए साल में अपना वजूद बनाना है
कुछ रूठ गए
कुछ पीछे छूट गए
हाथ थाम अपनों के संग चलना है
नए साल में रिश्तों को रंगों से फिर भरना है
बेवजह की बातों में उलझना क्यों
"सब एक" अब यही गुनगुनाना है
भाईचारे की डोर से बंधे
बस मानवता पहचान रखना है
बीते साल की करें विदाई
नए साल का जश्न
साथ मिल ऐसे घुल जाएं
ईद दीवाली मनाएं संग...