शब्दों के मोती
शब्दों के मोती
आओ हम सब एक बनें छोड़ बुराई नेक बनें।
जन-जन अपना करें सुधार आज समय की यही पुकार।
दहेज का नाम मिटायें जलती बहु बेटी को बचायें।
जागरूक हो जतन करें निज बोली नहीं लूटें कहार।
सब कोई सोचे समझे गुने भ्रटनेता कदापि न चुने।
भ्रष्ट नेताओं के कारण ही देश में बढता पापाचार।
सत्य धर्म से ना मुंह मोड़े जात-पात का झगड़ा छोड़े।
खुशी से हक देवें जहाँ जिसका बनता अधिकार।
फँसे न निज स्वार्थ क्रोध में लगें सभी सत्य शोध में।
भारत की संस्कृति सभ्यता पावनतम कहता संसार।
साक्षरता अभियान चलायें गोवध बिल्कुल बन्दकरायें।
पाल-पोष कर गो माता को स्वर्ग भू पर करें साकार।
कल पर कोई बात न टालें गद्दारोंको खोज निकालें।
दृढ़ देश का प्रावधान हो धोखा नहीं खायें सरकार।
जियें मरें हम राष्ट्र धर्म में मानव धर्म शुभ सत्य कर्म में।
यहीं भाव हो जन मानस में सादा जीवन उच्च विचार।
शुचि कवि लेखक पत्रकार सकल हिन्दी सेवी संसार,
हिन्दी में हर कार्य करें हम मातृभाषा का हो प्रचार।
विष पी कर भी मुस्करायें सेवामें शुभ कदम बढायें,
पर पीड़ा हर करें भलाई बाबूराम कवि हो तैयार।
