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Baburam Shing kavi

Others

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Baburam Shing kavi

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शब्दों के मोती

शब्दों के मोती

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मन की शुद्ध विचार है कविता। 

कभी जीत कभी हार है कविता।


 जन मानस का भाव है इसमें,

 कहीं प्रेम टकराव है इसमें। 

 भूत भविष्य व वर्तमान का-

 शुचितम  सद्भाव है इसमें।


पल-पल की उजियार है कविता। 

कहीं जीत कहीं हार है कविता।


  इसका रूप अनेक जगत में,

  सत्य भलाई नेक जगत में।

  घोर  विपत्ति  दुख - दर्द में

  बन जाती यह टेक जगत में। 


जीवन की आधार  है कविता।

कभी जीत कभी हार है कविता। 


 देश समाज का है यह दर्पण,

 अमन चैन हेतु सदा समर्पण।

 नजर रखें हर वक्त हर हर पर

 सर्वस्व  अपना करके अर्पण।


सुख-शान्ति सदा बहार है कविता। 

कभी जीत कभी हार है कविता।



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