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Baburam Shing kavi

Inspirational

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Baburam Shing kavi

Inspirational

शब्दों के मोती

शब्दों के मोती

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सेवा सुचि सत्कर्म और सदज्ञान से बढ़कर। 

कुछ भी नहीं है इज्जत ईमान से बढ़कर। 


सुख -दुख का फेरा तो दिन -रात जैसा है, 

परहित,परमार्थ जीवनमें मुस्कान से बढ़कर। 


चरित्र  चाऱुता  सभी  को  मित्र बनाता, 

शान -संपदा नहीं  है गुरुज्ञान  से बढ़कर। 


सत्य - धर्म सुरक्षा है पावन कार्य जगत में, 

है शरणागत अतिथी भगवान से बढ़कर। 


संतोष  त्याग  राग और  अनुराग अनूठा, 

मानव मर्यादा धरतीऔर असमान सेबढ़कर। 


काले कुकर्म छोड़ सभी अंतः से जागिये, 

अर्न्तदृष्टी आलोक सूरज चाँद से बढ़कर। 


उत्कर्ष  हर्ष  प्रगति  हो  अपने वतन में, 

मातृ भूमि मातृ भाषा  है प्राण से बढ़कर। 


चरणों में श्रेष्ट जनों के तीर्थ -धाम है सुधा, 

माता -पिता सद्गुरु सर्व सम्मान से बढ़कर। 


योनियाँ लखे चौरासी ,बाबूराम कवि,अहा, 

कोई योनी नहीं जग में इन्सान से बढ़कर ।




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