मोहब्बत को अमर होते देखा है|
मोहब्बत को अमर होते देखा है|
मोहब्बत में चाहत को जूनून बनते देखा है
नफ़रत में दर्द को आक्रोश बनते देखा है|
देखा है तुझे तड़पते हुए, और
अपनी यादों को उनका नासुर बनते देखा है|
तेरी आँखों को दर्पण बनते देखा है
आम काँच सा टूटा बिखरा पड़ा देखा है
देखा है अपना अक्स आईने में तेरे , और
तेरे आँसुओं से उसे मिटता हुआ देखा है|
हमारी मोहब्बत के लिए तुझे लड़ते देखा है
आज उस मोहब्बत से तुझे लड़ते देखा है
देखा है तुझे काँटों में कई,
तेरे हाथ रंग गुलाब का देखा है|
दो नदियों को एक होते देखा है
शिकवे पहाड़ तले दोराह होते देखा है
देखा है लहरों को टकराते हुए,
ख़ुद में दूर तलक तुझको डूबते देखा है|
तेरी हर साँस में अप
नी ज़िंदगी को देखा है,
हर साँस से तेरी ज़िंदगी को उखड़ता हुआ देखा है
देखा है तुझे मरते हुए, और
बिन रूह भी ख़ुद को जिंदा खड़ा देखा है|
एक वक़्त को मोहब्बत पर महरबान होते देखा है
मोहब्बत को एक वक़्त कुर्बान होते देखा है
देखा है इतिहास के पन्ने में लिखे हुए,
वक़्त को सब पर बलवान होते देखा है|
मोहब्बत में वफ़ा को ख़ुदा बनते देखा है
एक खता और ख़ुदा को ख़ुद से जुदा होते देखा है
देखा है अपना आशियाना सजते हुए, और आज
हर इट को राख़ बनते देखा है|
इतिहास को कहानियाँ बुनते देखा है
हर कहानी में इतिहास को बुनते देखा है
देखा है मोहब्बत में उन्हें मरते हुए, और
उनसे मोहब्बत को अमर होते देखा है|