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Diksha Gupta

Abstract Inspirational

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Diksha Gupta

Abstract Inspirational

ये भी ज़रूरी है

ये भी ज़रूरी है

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सुबह बस अच्छी नहीं, नई सी हो

एक रोशन सुबह के लिए

सूरज सा जलना भी ज़रूरी है।

टिमटिमाते सितारों से

भरे आँचल के लिए,

अँधेरी रात से लड़ना भी ज़रूरी है। 

दुनिया को अच्छाई समझाने के लिए,

कभी कभी बुराई करना भी ज़रूरी है। 

सच कमज़ोर नहीं, लेकिन झूठ पर जीत पाने के लिए

साथ कुछ बहाना भी ज़रूरी है।

तेरी आवाज़ दबी नहीं, लेकिन

कुछ बहरों को जगाने के लिए,

कभी तेरा चिल्लाना भी ज़रूरी है।

आँखों पे पट्टी, तलवार और तराजू से सजी है

लेकिन न्याय की देवी कहलाने के लिए

उस तलवार को उठाना भी ज़रूरी है।

सपने देखे कई, कई आशाएँ बाँधी भी हैं

पर कुछ बनने के लिए पहले

ख़ुद को मिटाना भी ज़रूरी है।

दिलों में प्यार कितना भी हो

पर रिश्तों की उम्र बढ़ाने के लिए

उसे जताना भी ज़रूरी है।

रिश्तों में इम्तहान नहीं होता

पर उसमें भरोसा पाने के लिए

उसमें प्रथम आना भी ज़रूरी है।

तजुरबे हक़ीकत बयां करते हैं

पर ज़िंदगी-ए-किताब के लिए

कहानी संग कुछ फसाना भी ज़रूरी है।

मन में भावना के गहरे सागर का क्या

कवि होने के लिए

उसमें हिलोरे उठना भी ज़रूरी है।

ज़िंदगी पथरीले रास्तों पर चलता पहिया ही तो है

अंत में चैन से मरने के लिए 

हिम्मत से इसे जीना भी ज़रूरी है।

हम लिखते तो बहुत हैं, लिखा भी बहुत है

पर उसे सीख बनने के लिए

तेरा उसे पढ़ना भी ज़रूरी है।

तू व्यस्त है, काम - काज़ से घिरा हुआ

पर स्वयं का आकलन भी ज़रूरी है।

हर बात पर विचार कर

क्यूंकि क्रांति के लिए ये सब भी ज़रूरी है।


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