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Diksha Gupta

Inspirational

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Diksha Gupta

Inspirational

तुझसे अब तक मिला नही

तुझसे अब तक मिला नही

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उन ख्वाबों को चाहिए नींद

मस्लंद सी, निशा सी

चादर उन सपनों को चाहिए

ये शोर है उस अरमां के,

जो तेरी आँखों में अब तक सजे नही|

सूरजमुखी का रंग ही रंग है,

मधुर-मदिरा-मान क्या

अब कहीं नही?

ये प्रशन हैं उन भँवरों के

जो तेरे रस में अब तक डूबे नही|

जो सफ़ेद बदरा ने रंग रात का माँगा,

अकेले मेघ ने

साथ हज़ार का माँगा,

ये आवाज़ है उन नमी रहित घटा की,

जो तेरे केश से अब तक बहे नही|

उन स्वर्ण आभूषण को

तेरे तन सम रंग चाहिए,

शर्म को भी

वीरता का आवरण चाहिए,

ये अभिलाषा है उस श्रृंगार की,

जो तुम ने अब तक किया नही|

सर्द की हर भोर को

तेरे गालों की लालिमा चाहिए,

तेरी परछाई का स्पर्श

हर साँझ को चाहिए|

ये राग है रवि की उस किरण की

जो तेरे तन पर अब तक गिरी नही|

उस यात्री को

तुम सा हमसफ़र चाहिए,

उस राह को तुझ सा

एक राहगीर चाहिए

ये कामना है उन रास्तों की

जिन पर तू अब तक चला नही|

उस दोस्त को

विश्वास चाहिए

जशन-ए-बहार हो, फिर भी गम में

किसी का साथ चाहिए

ये उम्मीद है उस यार की,

जो शायद तुझसे अब तक मिला नही|


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