तुझसे अब तक मिला नही
तुझसे अब तक मिला नही
उन ख्वाबों को चाहिए नींद
मस्लंद सी, निशा सी
चादर उन सपनों को चाहिए
ये शोर है उस अरमां के,
जो तेरी आँखों में अब तक सजे नही|
सूरजमुखी का रंग ही रंग है,
मधुर-मदिरा-मान क्या
अब कहीं नही?
ये प्रशन हैं उन भँवरों के
जो तेरे रस में अब तक डूबे नही|
जो सफ़ेद बदरा ने रंग रात का माँगा,
अकेले मेघ ने
साथ हज़ार का माँगा,
ये आवाज़ है उन नमी रहित घटा की,
जो तेरे केश से अब तक बहे नही|
उन स्वर्ण आभूषण को
तेरे तन सम रंग चाहिए,
शर्म को भी
वीरता का आवरण चाहिए,
ये अभिलाषा है उस श्रृंगार की,
जो तुम ने अब तक किया नही|
सर्द की हर भोर को
तेरे गालों की लालिमा चाहिए,
तेरी परछाई का स्पर्श
हर साँझ को चाहिए|
ये राग है रवि की उस किरण की
जो तेरे तन पर अब तक गिरी नही|
उस यात्री को
तुम सा हमसफ़र चाहिए,
उस राह को तुझ सा
एक राहगीर चाहिए
ये कामना है उन रास्तों की
जिन पर तू अब तक चला नही|
उस दोस्त को
विश्वास चाहिए
जशन-ए-बहार हो, फिर भी गम में
किसी का साथ चाहिए
ये उम्मीद है उस यार की,
जो शायद तुझसे अब तक मिला नही|
