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Diksha Gupta

Inspirational

4.7  

Diksha Gupta

Inspirational

शांत है मेरी कलम...

शांत है मेरी कलम...

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सुना था बिना अनुभव

सत्य प्रत्यक्ष नही होता,

जब तक दिल में दर्द न हो

भवनाएँ कागज़ पर नही उतरती|

इस मन की पीर कम नही

न जाने क्यों,

फिर भी पन्ने कोरे हैं अभी|

शांत है मेरी कलम

न जाने क्यूँ,

कितना कुछ हो रहा है

मगर ये चुप है,

गुमनाम है इस अकेलेपन में भी,

मन लिखना चाहता है

मगर ये ख़ामोश है|

स्याही सूखने का तो बहाना है

शायद अभी और परिपक्वता ज़रूरी है|

भाव झूठ नही हैं, मगर

मेरी और मेरी कलम की मित्रता

शायद अभी अधूरी है।


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