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Anita Chandrakar

Abstract

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Anita Chandrakar

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मेघ

मेघ

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मेघ कहाँ तुम ठिठक गए, मत तोड़ो विश्वास।

बरसो जमकर खूब, बुझा दो धरा की प्यास।

आस लगाए बैठे जन, सुन लो करुण पुकार।

टूटा मन व्याकुल नयन, कैसे गाएँ मेघ मल्हार।

काले काले मेघ देखकर, हिय में उठा हिलोर।

बादल गरजा बिजली चमकी, नाचा मन का मोर।

नभ में फिरते जब जलधर, ख़िल जाती मुस्कान।

रिमझिम रुनझुन बूँदों से, मिलता ज्यों नवप्राण।

भीगा मन का कोना कोना, बारिश हुई घनघोर।

माटी की सौंधी महक, फैल गई चहुँओर।



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