पंख
पंख
है नन्हे से
पंख उसके
पर हौसलों में
दम बहुत है।
ना समझो
इन्हें कम किसी से
आसमान को
छूने की चाह
बहुत है।
नहीं कमतर हैं
किसी से
क्योंकि
उस क्षितिज को
पाने चले
उड़ चले हैं ये।
ऐ मानव !
लेकर सीख
तुम भी इनसे
छोड़ आलस
बढ़ चलो अब
मेहनत के पंखों पर
होकर सवार
अपने लक्ष्य की ओर।
