STORYMIRROR

Anita Sharma

Drama Classics

4  

Anita Sharma

Drama Classics

आखिरी दांव

आखिरी दांव

1 min
495


उम्र का वो चढ़ता पड़ाव

दुखते ज़ख्म गहरे घाव

थकान अजीब बढ़ा रही 

कमर का झुकावय़


जकड़ती हड्डियों में

अखरता तनाव

पोपली मुस्कान में

सिमटता गालों का भराव।


लेकिन जीने का अंदाज़

फिर भी लाजवाब

खिलती मुस्कान से

पनपता प्रेम भाव

एक आलिंगन


मिटा देता अलगाव

उम्र के अनुभव

जवां रखते मनोभाव

ऐसे खेलते जाते

ज़िन्दगी का आखिरी दांव।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama