इस सरज़मीं पे ज़ुबान-ए-मोहब्बत सही या दास्तान-ए-सितम सही मेरे रहनुमा...? इस सरज़मीं पे ज़ुबान-ए-मोहब्बत सही या दास्तान-ए-सितम सही मेरे रहनुमा...?
मुफ़लिसी चल बसी, दीन रुख़सत हो गया साज़ तो ज़िऩदा रहा, अकसाम रुख़सत हो गया मुफ़लिसी चल बसी, दीन रुख़सत हो गया साज़ तो ज़िऩदा रहा, अकसाम रुख़सत हो गया
कहीं उमर भर की असगरी कहीं मुरदा जिस़म की मकबरी वही रोशन होती ताख़ हैं वही बुत परस़ती फिर सही...! कहीं उमर भर की असगरी कहीं मुरदा जिस़म की मकबरी वही रोशन होती ताख़ हैं वही बुत...
सब्र वालों का सदा साथ खुदा देता है देख लेता हूँ अदा ये भी फ़रीज़ा कर के सब्र वालों का सदा साथ खुदा देता है देख लेता हूँ अदा ये भी फ़रीज़ा कर के
इन मय-क़शी सदाओं में ज़रा सी अज़मत भर देना... गुज़ारिश है तुमसे, एक बार, बे-दिली से ही सही... ब... इन मय-क़शी सदाओं में ज़रा सी अज़मत भर देना... गुज़ारिश है तुमसे, एक बार, बे-...
तुम कभी सीरिअस नहीं होते? तुम कभी सीरिअस नहीं होते?