एक गीत अब ऐसा हो
एक गीत अब ऐसा हो
हो सब अधरों की शोभा जो, एक गीत अब ऐसा हो,
मेरे शब्दों में हो उनकी ध्वनि, एक गीत अब ऐसा हो ।।
तोड़ के नभ से चाँद और तारे, लेकर आने वाले बहुतेरे,
दिल से दिल की अलख जगाये, एक मीत अब ऐसा हो।।
आसमान पर हरदम आंखें, भविष्य सुनहरा ही निहारती,
पग पग आगे की राह बताए ,एक अतीत अब ऐसा हो ।।
कितने वसंत कितने पतझड़, यादों में गिन गिन हैं काटे,
पलकों से ना सावन बरसे, ये साल व्यतीत अब ऐसा हो।।
फिर आया रंगों का मौसम, दिशा दशा सब रंग रंगीली,
फाल्गुन आया मेरे आंगन, मुझको प्रतीत अब ऐसा हो।।
आशाओं का सूरज आकर, संशय के सब तिमिर हरे,
बच्चों की किलकारी जैसा, हर दिन पुनीत अब ऐसा हो ।।
बादल कितने भी श्याम वर्ण, विश्वास नहीं डिगने पाये,
है दिनेश आशीष सदा ही ,ये मन सुनीत अब ऐसा हो।।