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Roli Abhilasha

Romance

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Roli Abhilasha

Romance

अगर मैं सवेरा

अगर मैं सवेरा

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तुम्हारे स्नेह की मृगतृष्णा में

दर-दर भटकना

रेत की गर्म सिकन में

तुम्हारी छाँव का बिस्तर तलाशना

यही तो वो शै है

जिसे प्यार कहते हैं,

एक नन्हा सा बीज

जैसे कोई रोप गया मन में

ऐसे आया कि बस गया

मन के वृंदावन में

कोई ठौर नहीं उसको

मेरा दर ढूँढे

मैं भागकर हाथ थामूँ उसका

मुझे भी तो कोई और नहीं है

ये मानो अगर मैं सवेरा

तुम दिन हो मेरे

चंदा की लालिमा में देखूँ

मैं रजनी के फेरे....


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