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Harish Chamoli

Others

5.0  

Harish Chamoli

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नौकरी में नुक्स

नौकरी में नुक्स

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इन सर्द रातों में भला क्यो

मुझे बस तन्हाईयाँ मिलीं।

शीतल पवन के साथ से भी

क्यों तेरी निशानियाँ मिलीं?

हम आये समुंदर लाँघ कर

तुझ संग शादी रचाने को

लेकिन तेरे घर से मुझको

हर बार बस दुश्मनियाँ मिलीं


खोने के डर से कानों में

बजती शहनाईयाँ मिलीं।

और टूटते सपनों में फिर

बीती कुछ कहानियाँ मिली।

हर मुहब्बत की तक़दीर में

नहीं होता मुकम्मल जहाँ

छूटा जो तेरा हाथ तो

फिर हमको रुसवाईयाँ मिली।


दिल में मेरे मुझ को फक़त

प्यार की गहराइयाँ मिलीं।

बिछड़ते हुए दिलों में फिर

बस उदास जवानियाँ मिलीं।

रहना नहीं चाहता तुमसे

दूर एक पल को कभी मैं।

फिर भी न जाने क्यों मुझे

इतनी ये वीरानियाँ मिलीं।


भगवान के घर से फिर मुझे

लौटती हुई अर्जियाँ मिली।

मेरे टूटे दिल की कलम से

दर्द से भरी पंक्तियाँ मिली।

सोचा पार कर लेंगे साथ

मोहब्बत के इस दरिया को।

डूबती हुई इस दरिया में

मेरे प्रेम की कश्तियाँ मिली।


बहुत ढूंढते नुक्स मगर ही

मुझ में नहीं बुराईयाँ मिली।

पाखण्डी समाज में मेरी

नौकरी में ही कमियाँ मिली।

नहीं होता हर कोई यहाँ

डॉक्टर और इंजीनियर ही।

मैं होटेलवाला था ठुकराया गया

और साथ रोती अँखियाँ मिली।


फिर भी कभी न हिम्मत हारी

लगी प्यार की लत थी भारी।

सोचा अब पढ़ लेता हूँ कुछ

की एम बी ए की तैयारी।

उसने भी तो करी प्रतीक्षा

एम बी ए पूरा होने की,

तब जा कर नसीब में आयी

उस संग ब्याह की बारी।



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