बदले की आग
बदले की आग
अश्रुओं को फौलाद बनाकर,
अब इंसाफ हमको चाहिए।
भारत की इस भूमि से,
आतंकी साफ हमको चाहिए।
चीनी की मिठास-सी यहाँ,
कड़ी निंदाएँ अब बहुत हुई।
देश की आवाज अब,
आतंक के खिलाफ हमको चाहिए।
आँखों से अग्नि और दिल,
आक्रोश में हमको चाहिए।
तीस के बदले तीन हजार,
लाने का जोश हमको चाहिए।
बहुत हुआ अब बन्द करो,
इस सियासी खींचतान को।
पुलवामा का हर आतंकी,
मृत्यु आगोश में हमको चाहिए।
सुनी गोदें, उजड़ी हुयी माँगों का,
हिसाब हमको चाहिए।
दुश्मन के गृह में अब,
मौत का सैलाब हमको चाहिए।
अरे क्या बिगाड़ा था
उन निर्दोष भारत माँ के लालों ने
इंसाफ दिलाये जो शहीदों को,
वो तेजाब हमको चाहिए।
इस देश का हर दुश्मन अब,
ख़ाक हमको चाहिए।
बुरी नजर जो डाले,
उसकी आँख हमको चाहिए।
बहुत हुआ गाँधी की
अहिंसा की राह पर चलना।
हर एक आतंकवादी की अब,
राख हमको चाहिए।
दुश्मनों को जो जला दे,
वो अंगार हमको चाहिए।
अब कोई श्रृंगार नहीं,
बस नर संहार हमको चाहिए।
रो रही है भारत माँ आज,
अपने शेरों को खोकर
भारत माँ के चेहरे पर,
फिर से निखार हमको चाहिए।