Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Harish Chamoli

Abstract

5.0  

Harish Chamoli

Abstract

वो यादें

वो यादें

2 mins
656


वो रोज सुबह जबरन तेरा

नींद से मुझको जगा जाना।

फिर अंधमुजी इन आंखों से

दीवार पर घड़ी निहारना।

फिर बैठे बैठे बिस्तर पर

माँ गर्म चाय जब लाती है।

भूले से भी नहीं भूलती

वो यादें मन तड़पातीं हैं।


वो पापा की डांट साथ में

प्यार भरा अहसास सुखद था।

माँ की हर एक बात में फिर

ममता का आभास खास था।

फिर खाने पर एक एक कर वह

खूब रोटीयाँ खिलाती है

भूले से भी नहीं भूलती

वो यादें मन तड़पातीं हैं।


पापा ने जो देकर सहारा

साइकिल चलाना सिखाया।

देकर मुझे अच्छी शिक्षा फिर

जीवन का था मार्ग दिखाया।

पापा की सभी बातें आज

हौसला मेरा बढ़ाती है।

भूले से भी नहीं भूलती

वो यादें मन तड़पातीं हैं ।


मेरी हर इक जिद पूरी हो

इसका वह प्रयत्न है करती।

जाना हो पिकनिक मुझे तो

जाना चाहूँ जब पिकनिक मैं

पापा को सदा मना लेती

माँ की ममता के आगे तो

पूरी दुनिया झुक जाती हैं।

भूले से भी नहीं भूलती

वो यादें मन तड़पातीं हैं ।


आज दूर हूँ घर से अपने

रोज बातें नहीं है होती।

माँ भी बैठकर घर मे कहीं

आंसुओं से आँख है धोती।

माँ-पापा की सारी बातें

बचपन की याद दिलाती हैं।

भूले से भी नहीं भूलती

वो यादें मन तड़पातीं हैं ।


माँ ने दिया है प्यार दुलार

तो पापा ने संस्कार दिया।

अंधेरे में न कहीं भटकूँ

हर अंधकार को दूर किया

उनके लिए कुछ करने की अब

इच्छायें मन मे आतीं हैं।

भूले से भी नहीं भूलती

वो यादें मन तड़पातीं हैं ।


माँ-बाप ही हैं सृष्टि में जो

फिर कभी भी नहीं हैं मिलते।

खुश रखना उनको सदैव ही

मुरझे फूल फिर नहीं खिलते।

करना कद्र उनकी तब तक तुम

जब तक अन्तिम साँस बाकी है।

भूले से भी नहीं भूलती

वो यादें मन तड़पातीं हैं ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract