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Yogesh Suhagwati Goyal

Inspirational

5.0  

Yogesh Suhagwati Goyal

Inspirational

लोग तरस रहे हैं

लोग तरस रहे हैं

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गणेश जी का ५५१ किलो दूध से अभिषेक, नाली में कुत्तों के हवाले

कुपोषण के शिकार बच्चे दूध को तरस रहे हैं


मेट्रो के काम में पानी का पाइप टूटा, लाखों लीटर पानी सड़क पर

गर्मियों में प्यासे लोग पानी को तरस रहे हैं


बेटियों की गर्भ में हत्या, बेटियों के अनुपात में चौंकाने वाली कमी

निसंतान दम्पति संतान को तरस रहे हैं


काला धुआँ उगलती गाड़ियाँ और उद्योग, प्रदूषण से सांस लेना दूभर

इंसान प्रदूषण रहित हवा को तरस रहे हैं


आज भी बहुत से घरों में रात का बचा खाना, सुबह कचरे के हवाले

भूखे प्राणी खाने को तरस रहे हैं


हर साल विद्यालयों से लाखों स्नातक, सिर्फ १०% रोज़गार के योग्य

उद्योगपति कुशल कामगारों को तरस रहे हैं


फ़िल्मी कहानियों में विदेशी फिल्मों से नक़ल, दर्शक लुभाने में नाकाम

दर्शक मौलिक कहानियों को तरस रहे है


आज इंसानों में रिश्तों की बहुतायत, ज्यादातर थोपे गये या मतलबी

“योगी” लोग रिश्तों में अपनेपन को तरस रहे हैं


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