माँ एक एहसास
माँ एक एहसास
ऐ खुदा तूने ये क्या चीज़ बनाई है माँ,
रश्क (नाज़ ) करता है जिस पर सारा जहां।
बेमिसाल मोहब्बत का पैमाना है माँ,
बेशुमार खुशियों का खज़ाना है माँ।
हमको नौ माह पेट में ढोया माँ नेष
बाद पैदाईश कलेजे से लगाया माँ ने।
बड़े नाज़ो नखरों से पाला माँ ने,
और फूलों की तरह सवारा माँ ने।
अपनी आखियो का पालना बनाया माँ ने,
हमको पलकों की डोर पे झुलाया माँ ने।
दिन और रात में ना फर्क समझा माँ ने,
रात भर जग के खुद हमको सुलाया माँ ने।
याद आते है बचपन के दिन जब तू मुझे खिलाती थी,
हर बार रोने पर तू ही मुझे हसाती थी।
तू वो पेड़ जिसने कभी धूप लगने ना दी,
अपने आँचल में छुपाया नज़र किसी की लगने ना दी।
तूने जब ऊँगली थामी तो चलना आया,
गोद में उठाया तो उड़ने का हुनर आया।
घर के सब काम किए और कमाया माँ ने,
खर्चें में हाथ बटा हमको पढ़ाया माँ ने।
माँ हमे तूने जीवन में सब कुछ दिया,
सोच नहीं सकते जो कुछ भी तूने किया।
तेरे कदमो के नीचे जन्नत है,
ज़िंदगी मेरी रौशन तेरे आँचल से है।
ये ऐसा क़र्ज़ है जो मुझसे अदा हो नहीं सकता,
तेरी बे-गर्ज़ मोहब्बत की मिसाल कोई बन नहीं सकता।
यकीन तुझे दिलाता हु, ना भटका हु, ना भटकुंगा,
तेरे दर्जे को बुलन्दी पर हमेशा ही रखूँगा।