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अंधेरे का सच

अंधेरे का सच

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खिड़कियाँ बंद कर दी गयीं

दरवाजे पर टांग दिया गया पर्दा

एक दिन हुआ है

इस नये घर में आये

देखती है

जब हर तरफ अंधेरा

सोचने लगती है

आखिर क्यों?

खिड़कियाँ बंद कर दी गयीं

दरवाजे पर टांग दिया गया पर्दा

खिड़कियों से

धूप तो आती नहीं थी

रोशनी ही तो आती थी

पेंट दरवाजा भी तो अच्छा ही लगता था

तभी बाहर से आवाज आती है

और फिर घूँघट गिरा कर

निकल जाती है कमरे से

ये सोचकर

आखिर

इज्जत का सारा दारोमदार

हमसे ही तो है


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