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Vinod Kumar Mishra

Tragedy

5.0  

Vinod Kumar Mishra

Tragedy

एक वारिस की चाहत में

एक वारिस की चाहत में

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एक वारिस की चाहत में,

वारिस पैदा करने वाली को मार दिया

की जब हत्या एक नारी की एक नारी ने

समस्त नारी-जाति को शर्मसार किया।


सास कहती है बहु से,

बेटी मत होने देना,

एक माँ कहती है माँ से

माँ मत होने देना,

नारी कहती है एक नारी से,

नारी मत होने देना।


व्रत तो रखा नवरात्रों का पर

देवी का न सम्मान किया,

हत्या कर एक अजन्मी बेटी का

उन्ही हाथों ने माता का श्रृंगार किया।


सीना ठोक कर कहा उस पिता ने

तू घबरा मत माँ,

इस परिवार पर बढ़ने वाला बोझ उतार कर आता हूँ

खुश हो जा, माँ

मै तेरी होने वाली पोती को मार कर आता हूँ ।


यूँ ही मरती रही वारिस को जनने वाली

तो वारिस कहा से होगा,

यूँ ही पड़ी रही लावारिस एक नारी

तो वारिस कहा से होगा।


दिया सम्मान जो माँ को

फिर बेटी के प्रेम से क्यों कतराते ?

माँ के कदमो को तो कहते जन्नत

फिर बेटी के पालन-पोषण से क्यों घबराते ?


कहते हैं कि बेटा होगा तो

वंश का नाम बढ़ाएगा,

ये कैसा नाम जिस पर

सदैव ही नारी हत्या का पाप रह जायेगा ?


जी लेने दो उसे भी जीवन

हो सकता है तुम्हारे कल्पनाओं की कल्पना बन जाये,

जो सोचा था,नाम रोशन करेगा बेटा

हो सकता है बेटी किरण कर जाये,


हो सकता है घर में घुसे विद्रोहियों के लिए

तुम्हारी राजकुमारी रानी बन जाये,

हो सकता है तुम्हारे ज़ख्मों पर मरहम लगने वाली

वो मदर बन जाये !


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