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Vinod Kumar Mishra

Inspirational Others

5.0  

Vinod Kumar Mishra

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सरहद

सरहद

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शहीद हो गया जब वो हिमालय की आन में,

सर झुक गया भगवान का भी,

उसकी शहादत के सम्मान में।


ये वो लहू है जो मिल जाये,

तो गंगा भी पवित्र हो जाती है,

मरकर भी वो अमर हो जाता ,

ऐसी उस जवान की ख्याति है।


खबर पहुँची जब उसकी शहादत की तो,

हर किसी ने शोक जताया है।

पर कोने में खड़ी माँ को जब ध्यान से देखा तो,

उसने बिलकुल भी आँसू नहीं बहाया है।


कारण पूछा तो बोली कि ये आंसू तो,

तभी बह रहे थे जब मेरे बेटे ने लहू बहाया था।

इन हवाओं के ज़रिये मुझतक,

एक संदेशा पहुचाया था।



वो बोला कि हिम्मत रखना माँ,

मेरी शहादत पर आँसू नहीं बहाना है।

रख रहा हूँ तेरे दूध कि लाज़,

मुझे भारत माँ का क़र्ज़ चुकाना है।


ऐसे वीरों की कुर्बानी पर,

न कोई आँसू बहाता है।

लेकर तिरंगा जब निकलता है तो,

हिन्दुस्तान का सीना चौड़ा हो जाता है।


न ख़त्म हो सके ज़ुबानों से,

ऐसी उन वीरों की कहानी है।

सरहद पर मिटटी की सोंधी खुशबू ,

उनके बहते लहू की निशानी है।


कोई जाता मक्का मदीना,

और मनाता रमज़ान है,

कोई मंदिर में सर झुकाकर कहता,

यहाँ रहता भगवान है।


मै कहता हूँ की सरहद की माटी को,

एक बार माथे पर लगाकर तो देखो,

हिन्दुस्तानी वीरों की गाथा कहता,

यह भी एक तीरथ स्थान है

भारत माँ की सुरक्षा को समर्पित,

यहाँ भी रहता एक भगवान है।


न वो हिन्दू न वो मुस्लिम,

न किसी जाती से उसका नाता है,

सरहद पर खड़ा हर वो जवान,

सिर्फ हिन्दुस्तानी कहलाता है।


अस्त्र-शास्त्र की ग़रज़ नहीं उसे,

वो निहत्था भी लड़ सकता है,

युद्ध के किसी मोड़ पर उसे निहत्था देख,

दुश्मन हँस पड़ता है।


कहता है दुश्मन कि,

अब मेरी गोली तुझे छलनी कर जाएगी,

कुछ ही पलों में तेरी कहानी ,

यहीं ख़त्म हो जाएगी।


पलट कर वो कहता है दुश्मन से कि,

ये छाती है हिन्दुस्तानी की,

इसे तेरी गोली न छलनी कर पायेगी,

लिख दूंगा आज वीरता की वो कहानी।


तू भी नतमस्तक हो जायेगा,

इस हिन्दुस्तानी छाती का भेदन तू तो क्या,

पूरा ब्रह्माण्ड मिल कर भी न कर पायेगा।


वरदान मिला है मुझे भीष्म पितामह का,

कि जब तक हूँ जीवित,

न देश को असुरक्षित देख पाउँगा,

त्यागूँगा अपने प्राण तभी,

जब देश को सुरक्षित कर जाऊंगा।


संकल्प उसके जीवन का एक ही है कि,

अपना सर्वस्व देश पर लुटाना है।

या तो तिरंगा हाथों में लेकर,

या तिरंगे में लिपटकर

अब तो घर को वापस आना है।


जन गण मन का असली अर्थ वही जानता,

वो कहता भारत को ही भाग्य विधाता है,

शहीद होता है जब देश को सुरक्षित कर,

उसकी आखरी सांस की हवा पाकर,

तभी तिरंगा लहराता है।


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