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Harshita Belwal

Drama

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Harshita Belwal

Drama

कुछ बाकी था

कुछ बाकी था

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कोई था नहीं वो जो था कभी,

बस एक धोखा था,

नदी सी लगती चमकती रेत-सा,

बस एक झोंका था।


ऑंखें मूँदी तो अश्क बह निकले,

हर भरम की चुभन मिटाना अभी बाकी था,

लगता था जैसे कुछ बचा नहीं अब दिल में,

पर दिल के ज़ख्म मिटाना अभी बाकी था।


अकेली होकर भी अकेली ना थी,

पलकों पे आसुओं का बोझ अभी बाकी था,

शायद फिर से कोई खुशी लिखी थी नसीब में,

इसलिए कुछ प्यार किसी कोने में अभी बाकी था।


कोई था जो मेरे साथ था हमेशा,

मैं नहीं समझी थी, उसे पहचानना अभी बाकी था,

वो करता रहा मुझे प्यार हमेशा,

शायद ज़िंदगी में उसकी मेरा इंतज़ार अभी बाकी था।


जब जाना उसके प्यार को मैंने,

दिल में तब एक सवाल अभी बाकी था,

मेरे गुज़रे कल के क्या मायने हैं, ये पूछना था,

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p>क्यूँकि दिल की गहराई में,

उसका मलाल अभी बाकी था।


वो बोला मुझे वो यादें भुला दूँ मैं,

पुराना, पर दर्द भुलाना अभी बाकी था,

वो करता रहा कोशिश कि मैं खुश रहूँ

मुझे फिर से जीना सिखाए,

ये ज़िम्मा अभी बाकी था।


उसका साथ मुझे अपना लगने लगा,

लेकिन दिल में फिर से प्यार जगना अभी बाकी था,

मैं हँसने लगी खुलकर उसके साथ,

पर उसे खुशी की वजह मिलना अभी बाकी था।


मैं सोचने लगी उसकी हर बात,

बातों में उसका ज़िक्र होना अभी बाकी था,

शायद वो हो गया था जो सोचा ना था,

बस उससे इज़हार होना अभी बाकी था।


मैंने कह दिया जो पहले कहा ना था,

वादों का सौदा करना अभी बाकी था,

मैं भूल गयी जो भी था मेरा कल,

आने वाला कल उसके साथ,

संवारना अभी बाकी था।


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