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Harshita Belwal

Romance

5.0  

Harshita Belwal

Romance

बारिश और तुम

बारिश और तुम

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बहुत दिनों से इंतजार है,

मुझे इन बूंदों का…

कब मेरी खिड़की पे

इनकी आहट सुनूँगी…

बहुत दिनो से इंतजार है,

मुझे तुम्हारा भी … 

कब मेरी बांहों में तुम्हें भर सकूँगी … 


हर आहट पे लगता है तुम आ गये,

चौखट पे दिल छोड़ आयी हूँ।

धड़कनें तुम्हारी राह तकती हैं … 

आँखों में शिकायतें लायी हूँ।


वो पल ख्यालों में दोहराती हूँ,

जब तुम सामने आओगे।

मैं कुछ कहूँ, तुम कुछ कहो,

मेरे गाल हौले से सहलाओगे।


बरस रहा हो अंबर हम पे…

मैं बरस रही हूँगी तुम पे।

क्यों देर हुई तुम्हें आने में …

क्यों गए थे? पूछूँगी तुम से।


और तुम बिना कुछ बोले ही,

सब कुछ कह दोगे अश्कों से।

जो बात जुबां के सिरे पे थी…

अब लब कहेंगे मेरे लबों से।


बारिश और तुम, देर से ही सही…

पर आओगे ज़रूर एक बार।

उस रात में सोऊंगी नहीं…

वक्त रोकती रहूँगी बार बार।


बहुत दिनों से इंतजार है,

मुझे ठंडी हवाओं का…

कब तुम्हारा एहसास लिए ये चलेंगी…

बहुत दिनों से इंतजार है,

मुझे तुम्हारा भी…

आखिर कब तक,

आँखें यही ख़्वाब देखेंगी....


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